सुनील भारती मित्तल, कर्मठता जिनकी पहचान है

सुनील भारती मित्तल भारतीय उद्योग के वैश्विक व्यापार और निवेश पहलों का नेतृत्व करने वाले तमाम संगठनों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं। उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।

सुनील भारती मित्तल देश ही नहीं बल्कि दुनिया के एक ऐसे उद्योगपति हैं जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता और कर्मठ प्रयासों के माध्यम से टेलिकॉम इंडस्ट्री में क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। आज से कुछ दशक पहले जब संचार सेवाओं का दायरा बहुत सीमित था, तब ऐसे समय में सुनील भारती मित्तल ने देश भर में दूरसंचार सेवा विकसित करने का सपना देखा। मित्तल की अब तक की औद्योगिक यात्रा पर एक नज़र डालें तो पता चलता है कि वह शुरू से ही बहुत मेहनती, जुझारू और कर्मठ किस्म के व्यक्ति हैं। वर्तमान में, सुनील भारती मित्तल भारत की पहली पीढ़ी की कंपनियों में से एक, भारती एंटरप्राइजेज के फाउंडर एवं चेयरमैन हैं। यह कंपनी टेलिकॉम, स्पेस, बीमा, रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी और फूड सेक्टर में प्रमुख रूप से सक्रिय है। भारती के कई वैश्विक भागीदारों जैसे सिंगटेल, सॉफ्टबैंक, एक्सा, डेल मोंटे और यूके सरकार के साथ संयुक्त उद्यम हैं। 2020 में, भारती ग्लोबल ने यूके सरकार के साथ साझेदारी में वनवेब का अधिग्रहण किया, जो एक नए जमाने की स्पेस कम्युनिकेशंस कंपनी है, यह घने ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट सिस्टम स्थापित कर रही है। सुनील भारती मित्तल वनवेब के कार्यकारी अध्यक्ष हैं।

राजनीतिक परिवार से आने की वजह से सुनील के लिए राजनीति में पैर जमाना आसान था, पर उन्होंने शॉर्ट-कट के बजाय लंबा रास्ता पसंद किया।

सुनील को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित भी किया जा चुका है जो भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है। यह सम्मान उच्च कोटि की विशिष्ट सेवाएं प्रदान  करने वाले व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है। सुनील भारती मित्तल हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के एलुमनी अचीवमेंट अवार्ड के प्राप्तकर्ता हैं, जो संस्थान द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पूर्व छात्र सम्मान है। वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ग्लोबल एडवाइजरी काउंसिल में हैं और उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में डीन के सलाहकारों के बोर्ड में भी काम किया है। सुनील को जीएसएम एसोसिएशन का प्रतिष्ठित अध्यक्ष पुरस्कार मिला है और उन्हें भारत और यूरोप के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की  मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है।

मित्तल ने 2016 से 2018 तक इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष और जीएसएम एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। वह 2009 से 2021 तक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में ट्रस्टी रहे हैं।  इसके साथ ही साथ वह वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के इंटरनेशनल बिजनेस काउंसिल के सदस्य और काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में ग्लोबल बोर्ड ऑफ एडवाइजर्स के सदस्य हैं। सुनील ने यूनिलीवर पीएलसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पीएलसी और सॉफ्टबैंक कॉर्प सहित कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बोर्ड में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया है। सुनील भारती मित्तल भारतीय उद्योग के वैश्विक व्यापार और निवेश पहलों का नेतृत्व करने वाले तमाम संगठनों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं। उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। वह भारत-अमेरिका सीईओ फोरम के आईसीटी और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज वर्किंग ग्रुप के सह-अध्यक्ष हैं और भारत-यूके, भारत-जापान, भारत-स्वीडन सीईओ फोरम के सदस्य भी हैं।

परोपकारी स्वभाव वाले सुनील का मानना है कि एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट का कर्तव्य है कि वह उस समाज को कुछ वापस दे जिसमें वह काम करता है। इस विश्वास के परिणामस्वरूप भारती फाउंडेशन, 183 से अधिक सत्य भारती स्कूलों का संचालन करता है और समग्र शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने गुणवत्ता सहायता कार्यक्रम के तहत 800 से अधिक सरकारी स्कूलों को सहयोग प्रदान करता है।

कॉर्पोरेट यात्रा

सुनील भारती मित्तल की कॉर्पोरेट यात्रा जितनी प्रेरक है, उतनी ही दुस्साहसी एवं रोमांचक भी है। अपने जमाने के चर्चित व दिग्गज कांग्रेसी सांसद सतपाल मित्तल के तीन पुत्रों (दो अन्य-बड़े पुत्र राकेश भारती मित्तल व राजन भारती मित्तल) में से एक हैं- सुनील भारती मित्तल । परिवार के मूल नाम 9मित्तल“ में भारती का जुड़ना एक घटना की प्रतिक्रिया है। पंजाबी वणिक सतपाल मित्तल ने जब खत्री परिवार की ललिता जी से विवाह किया तो तत्कालीन सामाजिक परिवेश के कारण इस रिश्ते का भारी विरोध हुआ। सतपाल जी इस घटना से ऐसे विचलित व विद्रोही हो गए कि उन्होंने जातिगत संबोधन की जगह भारतीयता का प्रतीक 9भारती“ अपने नाम के साथ जोड़ लिया। पुत्रों ने यह नाम ऐसा पसंद किया कि सारा कारोबार भी भारतीय हो गया, और उसी के परिणामस्वरूप 9भारती“ समूह का जन्म हुआ।

राजनीतिक परिवार से आने की वजह से सुनील के लिए राजनीति में पैर जमाना आसान था, पर उन्होंने शॉर्ट-कट के बजाय लंबा रास्ता पसंद किया। हालाँकि, उनकी गति शुरू से चौंकाने वाली रही है। 64 वर्षीय सुनील ने पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। वर्षों बाद सन्‌ 1999 में उन्होंने हावर्ड बिजनेस स्कूल का ऑनर्स मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स अटैंड किया। कॉलेज की शिक्षा के दौरान 18 साल की उम्र में ही 20 हजार रुपए की पूँजी से लुधियाना में उन्होंने साइकल पाट्‌र्स बनाने का कारखाना खोल लिया था। कोल्ड व हॉट रोलिंग की एक छोटी स्टेनलेस स्टील इकाई भी लगाई। युवा व महत्वाकांक्षी मन-मस्तिष्क को ऐसे लघु उद्योग से संतोष कैसे मिलता…? बड़े केनवास पर काम करने की इच्छा से सन्‌ 1978 में वे दिल्ली आ गए और पिता के लोदी स्टेट स्थित सरकारी आवास में रहने लगे।

अपनी पुरानी फिएट कार से उन्होंने सारा दिल्ली शहर घूमा और अपने लिए चुना नया कारोबार – आयातित पोर्टेबल डीजल जनरेटर सेट्‌स की बिक्री। इन्हें वे होंडा मोटर व सुजुकी मोटर कंपनी जापान से मँगवाने लगे और तीन-चार साल में ही देश में इनके सबसे बड़े आयातक बन गए। सुजुकी ने भारत में इन्हें अपना एक्सक्लूसिव वितरक नियुक्त कर दिया। सुनील भारती ने इस बिजनेस से अच्छा पैसा कमाया व बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ व्यापार-व्यवहार का अनुभव सँजोया पर इससे भी कहीं ज्यादा जो पाया वह था- 9एक सपना-ऐसा ही कारोबार हो अपना।“ अच्छे कार्पोरेट ब्रेक के लिए बेताब सुनील भारती ने एक अन्य बिजनेसमैन आर.के. गुप्ता के साथ कैप्सूल बनाने की एक कंपनी गठित की- 9यूनाइटेड फार्मा।“

टेलिकॉम सेक्टर में भारती समूह

पुरुषार्थ से भाग्य का मिलन होता ही है, हुआ। पर, भाग्य ने आदतन इसके पहले पुरुषार्थ को परखा। एक दिन सरकार ने अनायास जनरेटर सेट्‌स के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। रातों रात जमा-जमाया कारोबार बंद हो गया। सुनील भारती बेरोजगार हो गए,पर वे रोजगार कार्यालय या किसी कंपनी के दफ्तर की ओर नहीं दौड़े। नए बिजनेस की तलाश के लिए वे पूर्वी एशिया के देशों में जा पहुँचे। ताईवान में एक ट्रेड-फेयर में उन्होंने पुश-बटन टेलीफोन देखे। हमारे देश में तब प्रचलित बड़े, भारी, काले व भद्दे डायल फोन की तुलना में ये उन्हें बेहद लुभावने लगे। भारत में ये बेहद पसंद किए जाएँगे – इस संभावना के साथ सुनील भारती अगले ही दिन पुश-बटन फोन कंपनी किंगटेल के मालिक रिचर्ड ली तक पहुँच गए। भारत में फोन उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध था – यह जानते हुए भी उन्होंने रिचर्ड ली से टेलीफोन कम्पोनेंट्‌स खरीदने का अनुबंध कर लिया।

सरकारी प्रतिबंध का पालन करते हुए सुनील भारती ने फोन नहीं, उनके कम्पोनेंट्‌स आयात किए। उनकी भी अलग-अलग स्थानों पर डिलीवरी ली – हैंडसैट कहीं, बेस कहीं तो पुश-बटन और कहीं। इन सबको लुधियाना में असेम्बल करवाया व दूरभाष विभाग (डीओटी) को ही पुश-बटन फोन की सप्लाई शुरू की। सन्‌ 1984 में जब सरकार ने नियंत्रण हटाया तो पचास से ज्यादा उद्योगपतियों ने फोन बनाने के लाइसेंस के लिए आवेदन किया। भारती समूह भी उनमें एक था, पर सबसे छोटा। सुनील भारती ने फिर जोखिम उठाई। लाइसेंस मिल ही जाएगा, इस उम्मीद के साथ सीमेंस को ऑर्डर दे दिया। परिणाम यह हुआ कि विधिवत लाइसेंस जारी होने के बाद अन्य उद्योगपति जब विदेशी कंपनियों को ऑर्डर दे रहे थे, तब सुनील भारती हवाई जहाज से फोन उतरवा रहे थे। अंत में सीमेंस के लाइसेंसी में से मार्केट में केवल दो ही बचे – एक भारती समूह व दूसरा टाटा। सन्‌ 1986 में भारती ने सीमेंस के साथ गठबंधन करके भारत में ही पुश-बटन टेलीफोन बनाने के लिए एक कंपनी गठित की 9भारती इंटरप्राइजेज“। यह आज देश की सबसे बड़ी फोन निर्माता कंपनी है। इसे देश में पहली बार कार्डलेस फोन व आन्सरिंग मशीन बनाने व निर्यात करने का गौरव भी हासिल है। हालाँकि, श्री सुनील भारती के लिए यह अब सहायक कारोबार हो गया है। सन्‌ 1996 में ही उन्होंने अपने एक सहयोगी (अनिल नायर) से कह दिया था कि भारती समूह टेलीकॉम सेवा क्षेत्र पर फोकस करेगा। तेजी से प्रगति की संभावनाएँ वहीं हैं। यहां (फोन उपकरण मार्केट) नहीं।

दूर की सोचना और उस सोच को और भी द्रुत गति से लागू करना सुनील भारती की केवल रणनीति नहीं, वरन्‌ स्वभाव है। मंजिल पर सबसे पहले पहुँचने की चाह में 9रफ व टफ“ ड्राइविंग भी उन्हें डराती नहीं है। वे गति को ही गंतव्य मानकर हर प्रोजेक्ट शुरू करते हैं। सन्‌ 1994 में राष्ट्रीय दूरसंचार नीति की घोषणा हुई। निजी क्षेत्र को लैंडलाइन व सेलफोन सेवा शुरू करने की अनुमति मिली। देश में निजी क्षेत्र की लैंडलाइन फोन सेवा (मध्यप्रदेश में) सबसे पहले शुरू करने

राजन, सुनील व राकेश भारती मित्तल का गौरव भारती समूह ने जुटाया, जबकि इससे कई गुना बड़े व दिग्गज (रिलायंस, टाटा, एस्सार) बिजनेसमैन इस बार भी मैदान में थे। सबको अलग-अलग सर्किलों के लाइसेंस मिले थे। अन्य लाइसेंस-धारक प्रतीक्षा करते रहे कि सरकार इस सेवा के परिचालन से जुड़े अन्य मुद्दे स्पष्ट करे तब वे काम शुरू करेंगे। भारती समूह ने इस बीच गड्डे खोदकर केबल बिछा दिए । नवंबर, 97 में इंदौर (मध्यप्रदेश) में एयरटेल (तब टचटेल) की घंटियाँ बजने लगीं। ऐसी जल्दबाजी क्यों…?  के जवाब में तब भारती इंटरप्राइजेज के संयुक्त प्रबंध निदेशक राजन भारती ने कहा था- 9जब लाइसेंस मिल गया है, सेवा शुरू करनी है तो फिर प्रतीक्षा क्यों…? जब भी व जो भी रियायतें मिलेंगी, वे सबको मिलेंगी।“  स्पष्ट है कि अपने संस्थापक सूत्रधार सुनील भारती का स्वभाव- 9लक्ष्य पर फोकस व सबसे पहले लक्ष्य भेद“ भारती समूह ने आत्मसात्‌ कर लिया। अड़चनें व आघात समूह को विचलित नहीं करते, वरन्‌ मजबूत बनाते हैं। सेलफोन सेवा लाइसेंस आबंटन के समय ऐसा ही हुआ था। तीस दिग्गज औद्योगिक घरानों ने सेलफोन सेवा के लाइसेंस माँगे थे। भारती समूह तब भी इन सबमें छोटा था। मुंबई व दिल्ली सर्किलों के लिए घमासान हो रहा था। भारती समूह ने बोली के आधार पर देश के चार बड़े महानगरों दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता और मद्रास के लाइसेंस प्राप्त कर लिए। अन्य कंपनियों के दबाव में सरकार ने अचानक नियम बदल डाला और कहा कि एक कंपनी को एक ही लाइसेंस मिलेगा। भारती समूह को मुंबई सर्किल मिला, पर प्रतिस्पर्धी अदालत पहुँच गए। अंत में सुनील भारती को दिल्ली सर्किल प्राप्त हुआ जो उनकी पहली पसंद भी थी।

भारती की जगह कोई बड़ा समूह होता तो सरकार बोली के आधार पर आबंटित चारों सर्किल पहले ही चरण में उसे दे देती। पर, सुनील भारती ने कहा- 99जो हुआ, अच्छा हुआ।  चार सर्किलों में सेलफोन सेवा शुरू करना तब हमारे लिए मुश्किल भी था।““ पर, इसकी अपूर्व सफलता सुनील के लिए ऐसा टर्निंग प्वाइंट बनी कि आज भारती की सेलफोन सेवा 9एयरटेल“ सबसे अव्वल है। हाईटेक टेलीकॉम सेक्टर ऐसा उद्योग है, जिसमें टेक्नालॉजी व बुनियादी सुविधा जुटाने के लिए पहले भारी पूँजी निवेश करनी पड़ती है। लंबी प्रतीक्षा के बाद तब आवक शुरू होती है, जब क्षमता का भरपूर दोहन होने लगे, यानी अधिकतम फोनधारक हों और वे सेवा का अधिकतम उपयोग भी करें। ऐसे पूँजीगत उद्योग में सुनील भारती के लिए अपने बलबूते पर मात्र 27 सालों में टेलीकॉम सुपर पॉवर बनना संभव नहीं था। यह बात वे भी जानते थे, पर उन्हें अपनी प्रतिभा पर विश्वास था। अपनी निपुणता का उपयोग कर उन्होंने दुनिया के दिग्गज टेलीकॉम खिलाड़ियों को अपना भागीदार बनाया है। सिंगटेल, सीमेंस, वारबर्ग, पिनकस, ब्रिटिश टेलीकॉम, इटालिया इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन, न्यूयॉर्क लाइफ, एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, केसियो, विवेंडी, ड्यूरालाइन, इनटेल, एएमपी जैसे दिग्गज न केवल आज उनके टेक्नालॉजी पार्टनर हैं, वरन्‌ उन्होंने भारती समूह में भारी पूँजी भी निवेश की है। सुनील भारती मित्तल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपने इन भागीदारों का ऐसा विश्वास जीता है, जो भारतीय कार्पोरेट वर्ल्ड के लिए एक मिसाल है।

भारती समूह निजी क्षेत्र का देश का पहला एनएलडी प्रदायकर्ता है। इसने इस मार्केट में ऐसा प्राइस-वार शुरू किया कि लंबी दूरी के फोन कॉल्स की दरें रसातल में पहुँच गईं और बीएसएनएल को भी एकाधिकार की खुमारी से निकलकर दरें घटानी पड़ीं। इंटरनेशनल लाँग डिस्टेंस (आईएलडी)  कॉल्स के लिए भारती ने चेन्नई में लेंडिंग स्टेशन स्थापित किया, जिससे आईएलडी सेवा पर वाइस व डाटा का इंटरनेशनल प्रसारण आसान हुआ है। समुद्र में केबल लिंक (चेन्नई व सिंगापुर के बीच) स्थापित करके भारती समूह ने निजी क्षेत्र को बीएसएनएल का तगड़ा प्रतिस्पर्धी बनाया है।

भारती समूह ने अपनी 9इंडिया-वन“ आईएलडी सेवा के लिए इंटरनेशनल कैरियर्स से भी अनुबंध किया है। टेलीकॉम उद्योग में सर्वाधिक विदेशी निवेश (एक बिलियन डॉलर से ज्यादा) भारती समूह ने ही जुटाया है। भारती समूह ने आईआईटी दिल्ली के साथ भारती स्कूल फॉर टेलीकम्युनिकेशन टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट की स्थापना की है। यह स्कूल एम.टेक. (टेलीकॉम) व एम.बी.ए. (टेलीकॉम) कोर्सेस संचालित करता है। कोर्स का संचालन, परीक्षा व डिग्री आईआईटी प्रदान करता है। इसका प्रयोजन है-  देश में तेजी से उभरते टेलीकॉम सेवा क्षेत्र के लिए प्रतिभावान युवा तैयार करना। इसके अलावा पंजाब विश्वविद्यालय में भारती समूह ने स्व. सतपाल मित्तल (पूर्व सांसद) की स्मृति में भारती चेयर (टेली कम्युनिकेशंस) की स्थापना करवाई है। गुजरात में भारती सेंटर फॉर इंटरप्रिनेरियल प्रोग्राम शुरू किया गया है।

आज के आईने में एयरटेल

एयरटेल दक्षिण एशिया और अफ्रीका के 17 देशों में 491 मिलियन से अधिक ग्राहकों को वैश्विक संचार समाधान प्रदान करने वाली दुनिया की दिग्गज टेलिकॉम कंपनी है। यह कंपनी विश्व स्तर पर शीर्ष तीन मोबाइल ऑपरेटरों में शुमार है और इसके नेटवर्क में दो अरब से अधिक लोग शामिल हैं।  एयरटेल भारत का सबसे बड़ा एकीकृत संचार समाधान प्रदाता और अफ्रीका में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल ऑपरेटर है। एयरटेल के रिटेल पोर्टफोलियो में हाई-स्पीड 4जी/5जी मोबाइल ब्रॉडबैंड और एयरटेल एक्सस्ट्रीम फाइबर शामिल है जो लीनियर तथा ऑन-डिमांड एंटरटेनमेंट में कन्वर्जेंस के साथ 1 जीबीपीएस तक स्पीड का वादा करता है। इसके साथ ही एयरटेल की व्यावसायिक गतिविधियाँ स्ट्रीमिंग सेवाएं, संगीत और वीडियो, डिजिटल भुगतान और वित्तीय सेवाओं तक फैली हुई हैं। एंटरप्राइज ग्राहकों के लिए, एयरटेल कई तरह के समाधान पेश करता है जिसमें सुरक्षित कनेक्टिविटी, क्लाउड और डेटा सेंटर सेवाएं, साइबर सुरक्षा, घ्दऊ, एड टेक और क्लाउड-आधारित संचार शामिल हैं। मौजूदा रिपोट्‌र्स के अनुसार एयरटेल में लगभग 18 हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। भारती एयरटेल द्वारा जारी किये गए वित्त वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट को देखें तो पता चलता है कि कंपनी ने पिछले एक साल में लगभग 21 हजार नए मोबाइल नेटवर्क टॉवरों की स्थापना की है। 145,353 नए मोबाइल ब्रॉडबैंड बेस स्टेशन जोड़े गए। 12 बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना की गई और 120 से अधिक एज डेटा सेंटर बनाये गए।

”देश में 5G की स्पीड लाने में एयरटेल सबसे आगे होगी। कंपनी अपने पावरफुल नेटवर्क के जरिए देश की डिजिटल फर्स्ट इकोनॉमी को बूस्ट देगी। जुलाई, 2022 में केंद्र सरकार जब 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी कर रही थी,  उस दौरान भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल का ये बयान आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अक्टूबर को 5G लॉन्च का ऐलान किया। प्रधानमंत्री जब 5G को लॉन्च कर रहे थे, तब वहां सुनील मित्तल समेत सभी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के हेड भी शामिल थे। प्रधानमंत्री की मौजूदगी में सुनील मित्तल ने कहा, ”आज आप जब 5G का लॉन्च करेंगे तो एयरटेल की तरफ से 8 शहरों में ये सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। उन्होंने किन-किन शहरों में लॉन्च होगा, वो भी बता दिया। इस तरह एयरटेल देश में 5G सर्विस ( नाम- 5G प्लस) मुहैया करने वाली पहली कंपनी बन गई। मित्तल ने कार्यक्रम में ये भी कहा कि एयरटेल मार्च, 2023 तक देश के कई शहरों में 5G की सुविधा देगी। मार्च, 2024 तक पूरे देश में एयरटेल की तरफ से 5G नेटवर्क मिल रहा होगा।

हम 5G को लेकर सुनील मित्तल की बात क्यों कर रहे हैं? वो इसलिए क्योंकि जब देश में 5G के ऑक्शन को लेकर चर्चा ही चल रही थी, उससे पहले ही उन्होंने 5G नेटवर्क की टेस्टिंग कर दी थी। इस तरह एयरटेल 5G नेटवर्क की टेस्टिंग करने वाली पहली कंपनी बन गई। एयरटेल वो पहली कंपनी है जिसने 5G क्लाउड गेमिंग का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही 700 र्स्प्ै (मेगाहट्‌र्स) पर ग्रामीण भाग के लिए 5G की टेस्टिंग करने वाली पहली कंपनी भी एयरटेल ही थी। 5G को लेकर एयरटेल की तैयारी कितनी एडवांस है,

एयरटेल फर्स्ट

5G के मोर्चे पर एयरटेल सबसे आगे नजर आ रही है। वो आगे इसलिए नहीं है क्योंकि उसने सबसे ज्यादा एडवांस पेमेंट की है बल्कि वो इसलिए आगे दिख रही है क्योंकि उसकी तैयारी दूसरों से ज्यादा नजर आती है। एयरटेल एकमात्र कंपनी है जिसने 5G लॉन्च होने से पहले ही देश में 5G गियर इकोसिस्टम तैयार करना शुरू कर दिया था। इसके लिए कंपनी ने ळए और जापान की कंपनियों के साथ करार किया। कंपनी ने खुद के स्तर पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट करके 5G गियर पर काम किया। जब दूसरी कंपनियां सिर्फ 5G को समझने में जुटी हुई थीं, तब एयरटेल इसकी टेस्टिंग शुरू कर चुकी थी। एयरटेल पहली कंपनी थी, जिसने पहला प्राइवेट टेस्ट नेटवर्क तैयार किया। कंपनी ने हैदराबाद में पहला लाइव 5G नेटवर्क का अनावरण किया। एयरटेल ने देश की पहली 5G इनेबल्ड एंबुलेंस भी दी। एयरटेल ने देश में पहला 5G इनेबल्ड होलोग्राम भी पेश किया। कंपनी ने भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव का पहला 5G लाइव होलोग्राम पेश किया। यही नहीं, संभव है कि जल्द ही एयरटेल वो पहली कंपनी बने जो आपको सैटेलाइट के जरिए नेटवर्क मुहैया कराए। दरअसल भारती ग्रुप की ही कंपनी भारती ग्लोबल सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी वन वेब में बड़ी भागीदार है। वन वेब को वैसे तो 2012 में शुरू किया गया था लेकिन 2020 में फंड की कमी की वजह से इस कंपनी ने बैंकरप्सी के लिए फाइल कर दिया। तब ब्रिटेन सरकार के साथ भारती ग्लोबल ने भी कंपनी में 45ज्ञ् हिस्सेदारी खरीदी। वन वेब का मुख्य लक्ष्य वेब सैटेलाइट कॉन्स्टिलेशन के जरिए उन इलाकों में इंटरनेट पहुंचाना है, जहां आम मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पाता। फिलहाल वन वेब ने रूस-अमेरिका के कई इलाकों में सैटेलाइट्‌स को तैनात किया है। अब कंपनी की तैयारी भारत में भी हाई-स्पीड इंटरनेट मुहैया कराने की है।

 

आलोक रंजन तिवारी