मैं इस ग्रुप का मात्र एक चेहरा हूँ , लेकिन इसके पीछे मेरे परिवार की मेहनत और लगन है : धवल अजमेरा

भारतीय रियल एस्टेट की दुनिया में अजमेरा ग्रुप का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है । अजमेरा ग्रुप अपनी विश्वस्तरीय निर्माण शैली और अत्याधुनिक सुख – सुविधाएं प्रदान करने वाली कंपनियों की श्रेणी में शीर्ष पर है । यह निर्माण समूह देश – विदेश के कई शहरों में आलीशान इमारतों का निर्माण कर रहा है । इस समय अजमेरा ग्रुप का नेतृत्व करने के क्रम में अजमेरा ग्रुप के डायरेक्टर धवल अजमेरा बहुत ही उत्साह और लगन के साथ अपनी उत्कृष्ट भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। अजमेरा ग्रुप द्वारा संचालित की जा रही शानदार परियोजना अजमेरा – आइलैंड के साइट ऑफिस में कंपनी के डायरेक्टर धवल अजमेरा ने अभ्युदय वात्सल्यम्‌ की टीम से रियल एस्टेट की वर्तमान गति – प्रगति और निर्माण क्षेत्र में हुए परिवर्तनों  के सन्दर्भ में विस्तृत बातचीत की । प्रस्तुत है बातचीत के सम्पादित अंश –

आप अपने करेंट और अपकमिंग रेजिडेंशियल एवं कमर्शियल प्रोजेक्ट्‌स के बारे में कुछ बताएँ ?

अजमेरा ग्रुप ५० सालों से रियल एस्टेट के क्षेत्र में काम कर रहा है । हमने इसकी शुरुआत सबसे पहले मुमबई से की , उसके बाद सूरत, अहमदाबाद, राजकोट , बंगलोर और  पुणे में कई सारे प्रोजेक्ट्‌स चालू किये गए । इन सब जगहों के साथ – साथ हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विकास कर रहे हैं, जैसे लंदन और  बहरीन में, वहां पर भी हमारा रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट चालू है।

आगामी पांच वर्षों में आपकी क्या निवेश योजना है ?

अजमेरा आइलैंड पूरा १०० एकड़  का  डेवेलपमेन्ट है और इसमें अगर आप देखेंगे तो मुंबई का सबसे बड़ा प्राइवेट गार्डन है जो ३३ एकड़  में फैला हुआ है।  विश्व का सबसे बड़ा आई मैक्स डोम थिएटर भी यहां है । इसके आलावा यहाँ पर जितनी भी इमारतें  बन रही हैं उन सब इमारतों में क्लब हाउस की सुव्यवस्थित योजना है । अधिकतर टाउनशिपों में यह होता है कि १५ से २० इमारत एक क्लब हाउस को शेयर करते हैं , पर हमने प्लान किया है कि  हर  एक बिल्डिंग को उसकी खुद की क्लब हाउस फैसिलिटीज , एमेनिटीज, लाइब्रेरी, स्विमिंग पूल, रेस्टोरेंट  देंगे।  अगर आप देखेंगे तो  हमने ओपन स्पेसेस में बहुत सारे मनोरंजन की व्यवस्था  की है, ज्यादातर खेल से जुड़े हुए हैं। जैसे – राइफल शूटिंग, डर्ट बाइकिंग सेंटर।  अब हम लोग एक स्कूल भी खोल  रहे हैं – अजमेरा स्कूल्स ,जो इसी प्रोजेक्ट के अंतर्गत आ रहा है।  यह एक  ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें आपको सब कुछ एक ही जगह पर मिलेगा। 

आपने कार्डिफ यूनिवर्सिटी , यूके से फाइनेंस में एमबीए किया है । वहां की एजुकेशनल क्वालिटी और इण्डिया की एजुकेशनल क्वालिटी में क्या अंतर महसूस किया है आपने ?

जब मैंने पढ़ाई की थी तब वहां की शिक्षा प्रणाली अलग थी, लेकिन अब भारत की भी शिक्षा प्रणाली काफी बेहतर हो गई है।  लेकिन  ऐसा कहा जाता है कि  जब आप अकेले या स्वतंत्र रहने लगते हैं तब आप में अपने आप निर्णय लेने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है । इससे आपको एक शक्ति मिलती है । वहां मुझे स्वयं निर्णय लेने का एक अनुभव प्राप्त हुआ और तब से मैं स्वयं अपने  सारे निर्णय लेने लगा और मैं स्वतंत्र रूप से अपने काम करने लगा।  मैंने कई जगह छोटी – मोटी नौकरियां भी कीं , सिर्फ एक अनुभव के लिए।

आप अजमेरा फैमिली के यंगेस्ट लीडर हैं, पारिवारिक विरासत को आप बहुत ही उत्कृष्टता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। इस भूमिका में जब आप खुद को देखते हैंं तो कैसा महसूस करते हैं?

यह तो हमारे परिवार की सबसे बड़ी एकता और ताकत है । मैं तो इस ग्रुप का मात्र एक चेहरा हूँ , लेकिन इसके पीछे मेरे परिवार की मेहनत और लगन है । हम सब एकजुट होकर काम करते हैं और तभी अजमेरा ग्रुप आज सफलता की राह पर निरंतर अग्रसर है ।

रियल एस्टेट इंडस्ट्री में आप किस तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं ?

हर एक एरिया और शहर की अपनी अलग अलग चुनौतियाँ होती हैं, जैसे मुंबई की बात करें तो यहाँ पर काफी सारी  चुनौतियाँ आती हैं । मुख्यतः अनुमतियों से सम्बंधित । हालाँकि, बीएमसी ने काफी चीजों को ऑनलाइन कर दिया है, पर उससे सम्बंधित जो बहुत सारी अनुमतियाँ  होती हैं वह रियल इस्टेट मार्केट के लिए  एक बहुत बड़ी चुनौती है । प्रक्रिया भी काफी धीमी है , जैसे एनवायरमेंट है , सिविल एविएशन है, फॉरेस्ट  है , सी .आर.जेड है, सारे अलग – अलग मुद्दे  हैं और  इन सबके होने  के बाद  भी आपको बी.एम्‌.सी से अनुमति लेनी पड़ती है।  जब तक आप इन सब चीजों की अनुमति नहीं लाते तब तक आपका काम शुरू नहीं हो सकता , तो इन सब चीजों की अनुमति लेकर  बी.एम्‌.सी में लाना अपने आप में  ही  एक बहुत बड़ी चुनौती है । अगर सरकार ने इन  सारी चीजों को सिंलग विंडो क्लीयरेंस  दे दिया  तो मार्केट  में बहुत बड़ा बदलाव आएगा और तेजी से विकास होगा। हमारी कल्पना से भी  ज्यादा,  जितना  हम सोच भी नहीं सकते उससे कहीं ज्यादा विकास होगा।  रियल एस्टेट इंडस्ट्री के  पीछे २५० से ३०० से अधिक कई अलग – अलग इंडस्ट्रियाँ  चलती हैं।  जैसे  आज  एग्रीकल्चर के बाद देश की  इकॉनमी में जो विकास है वो  रियल एस्टेट ही  लाता है।  तो अगर आप इतने बड़ी इंडस्ट्री  को सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली के माध्यम से बढ़ावा देते हैं तो इसका बदलाव पूरा देश देखेगा और महसूस भी करेगा। सिंगल विंडो क्लीयरेंस के लिए  डिजिटलाइजेशन इतना अच्छा होना चाहिए कि एक ही प्लेटफार्म पर  सारी चीजें मुहैया  हो जाए। मैं यह बात गर्व से कहना चाहूंगा ये सारी चीजें कम से कम मुंबई में ऑनलाइन हैं ।

रेरा के आने से रियल एस्टेट की कार्य प्रणाली में किस प्रकार का परिवर्तन देख रहे हैं ?

रेरा के आने से विशेष रूप से  अगर  हम अपनी बात करें तो हम पर कोई अधिक फर्क नहीं पड़ा है या हमें कोई ज्यादा फायदा नहीं हुआ है । क्योंकि हम ९० % रेरा  कम्पलाइन आज भी हैं और पहले भी थे।  इसमें कोई शक नहीं कि आज  यह १०० %  हो गया  है। रेरा के आने से यह एक फायदा हो गया है कि  रियल एस्टेट मार्केट की अनुभूति बदल गई है और लोगों में जो  विश्वास होना चाहिए वो आ गया है।

अफोर्डेबल हाउसिंग के बारे में आप क्या सोचते हैं?            

मेरे हिसाब से मुंबई में अफोर्डेबल हाउसिंग का सपना साकार होने  के लिए अफोर्डेबल  हाउसिंग की व्याख्या बदलनी पड़ेगी। क्योंकि अगर आप बोलते  हैं कि १ करोड़ के ऊपर के घर अफोर्डेबल हाउसिंग में आते हैं तो ये साकार नहीं हो पायेगा। क्योंकि  मुंबई के अंदर आज की तारीख में अफोर्डेबल हाउसिंग पॉसिबल ही नहीं दिखता है । क्योंकि सरकार के प्रीमियम्स  इतने अधिक हैं कि फ्लैट की लागत  काफी बढ़ जाती है। आज की तारीख में मुंबई में जमीन की लागत इतनी ज्यादा है और उसके ऊपर  सरकार  की  प्रीमियम्स कॉस्ट भी ज्यादा है। आप  टैक्सेस भी भरते हैं तो इन सारी चीजों को  जब आप जोड़ते हैं तो अफोर्डेबल हॉउसिंग  का रास्ता साफ ही नहीं हो पाता । अगर यह सारी चीजें मुमकिन करनी हैं तो सरकार को बहुत सारे बदलाव लाने होंगे।  सिर्फ एफएसआई  बढ़ाने से कुछ नहीं होगा, इसमें प्रीमियम्स जो सरकार लेती है उसे कम नहीं किया गया तो अफ्फोडर्बिलिटी नहीं आएगी।

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क