योग ब्रह्माण्ड की अनमोल ज्ञान सम्पदा है

योग शब्द का सर्वाधिक तर्क संगत एवं मूल अर्थ है- जोडऩे का कार्य। अर्थात्‌ जिसके द्वारा जोडऩे का कार्य सम्पन्न हो, वह योग है। योग शब्द के अन्य अनेक अर्थ भी हैं। जैसे- संयोग, सम्बन्ध, सम्पर्क, युक्ति, उपाय, नियम, विधान, सूत्र, उपयुक्तता, परिणाम, कौशल, गाड़ी, वाहन, कवच,लाभ, धन, औषध, व्यवसाय, ध्यान, संगति, दूत, सुभीता, सुयोग, प्रयोग, चित्तवृत्ति का निरोध, मोक्ष का उपाय, प्रेम, मेल- मिलाप, वैराग्य, शुभकाल, नाम, नाव, साम आदि चार प्रकार के उपाय, सहयोगिता, उत्सव, पर्व, सम्पत्ति का लाभ और वृध्दि, विशिष्ट तिथियों, वारों और नक्षत्रों का निश्चित नियम से पडऩा, अष्टांग योग जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का अंतर्भाव है, हठयोग आदि। योग शब्द का अर्थ, क्षेत्र और प्रयोग अतीव विशद्‌ है, व्यापक है। मानव जीवन को शांत, प्रसन्नचित्त, प्रेमपूर्ण एवं सर्वरूपेण सुसमृद्ध एवं तेजस्वी बनाने का सर्वाधिक उपयुक्त एवं सबल माध्यम है- योग। अपने अंतस में अनंत की गहराइयों एवं असीमानन्द की प्राप्ति हेतु योग महान शैली है, विधा है, ईश्वर- प्राप्ति का एक प्रमुख प्रशस्त मार्ग है – योग।

सामान्य जन भी योग का आश्रय लेकर स्व जीवन को तेज, ओज, सुबुद्धि एवं चित्त की स्थिरता व प्रसन्नता के माध्यम से पूर्णतया सुखी व सुवासित बना सकते हैं। योग ब्रह्माण्ड की अनमोल ज्ञान सम्पदा है जिसे प्राप्त करना मानव मात्र का परम कर्तव्य है और हमें मानव जीवन प्राप्त करने के कारण इसे प्राप्त करना ही चाहिए। योग के माध्यम से हमें वह दिव्य चरित्र प्राप्त हो सकेगा जो हमारे लिए सुशोभनीय है, हमारे महनीय मानवीय गरिमा के अनुरूप है। योग के माध्यम से व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व में वह दिव्य आत्मिक चेतना का संचार हो सकेगा, जिसके माध्यम से विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम्‌ की भावना बलवती होगी और इस प्रकार सम्पूर्ण विश्व में प्रेम, शांति, सद्‌भाव एवं भाईचारे का साम्राज्य स्थापित हो सकेगा। योग मानव जीवन एवं संसार की अनेक समस्याओं का स्वयं में समाधान है, यौगिक दृष्टि, विचार एवं कर्म दिव्य होते हैं। अन्ततोगत्वा हमारी दिव्यता के आलोक से सम्पूर्ण विश्व प्रकाशमान हो सकेगा, धरती पर स्वर्गानुभूति हो सकेगी। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने विश्व के कल्याणार्थ २१ जून को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित कराकर सम्पूर्ण विश्व के व्यापक हित और कल्याण हेतु अभिनंदनीय कार्य किया है और मानवता को महती गरिमा प्रदान करने वाले इस योग प्रतिष्ठा के कार्य हेतु आप सदैव याद किये जायेंगे। श्री मोदी स्वयं में यौगिक जीवन का आनंद प्राप्त करने वाले विलक्षण राज नेता हैं, उदारमना हैं, विश्व प्रेमी हैं, मानवता के उद्धारक हैं और वसुधैव कुटुम्बकम्‌ के महान साधक- उपासक हैं, तभी तो सम्पूर्ण विश्व को आनंदित करने का सपना देखे। उनका सपना साकार हो रहा है और सम्पूर्ण विश्व योग के प्रति श्रद्धावान हो रहा है, आचरणशील हो रहा है।

२१ जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाकर हमने प्रतीक रूप में योग को स्वीकार किया है परन्तु इसकी पूर्णता और पूर्ण चरितार्थता यह है कि हम अपने जीवन में, नित्य प्रति की दिनचर्या में इसे शामिल करें, इसके उदात्त भावो में अवगाहन करें, स्वजीवन को आलोकित करें और सम्पूर्ण मानवता को महिमामण्डित करते हुए विश्व को योगभूमि बना दें। श्री मोदी जी के पुण्य प्रयासों से विश्व ने अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर योग किया। हमें, सबको जोडत़े हुए श्री मोदी के इस महामानवीय महाभियान को सुसफल बनाने का पूर्ण प्रयास करना होगा, तभी जाकर विश्व को प्रेमपूर्ण, शांतिपूर्ण एवं सौहार्द्र पूर्ण बनाने का विश्वनेता का सपना पूरा होगा।

मानवता एवं संपूर्ण विश्व के व्यापक हित में प्रधानमंत्री मोदी की विशेष पहल के फलस्वरूप विश्व को प्राप्त इस ऐतिहासिक महान जन कल्याणकारी शुभ अवसर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वैश्विक जन कल्याणकारी भावना, सर्वे भवन्तु सुखिनः – सर्वे संतु निरामया की उदात्त सोच एवं उनके वैश्विक नेतृत्व क्षमता को प्रकट किया है, प्रदर्शित किया है, प्रमाणित किया है। इस महान कार्य के मूल में श्री मोदी की महती कर्मयोगी भूमिका ने उन्हें विश्व नेता के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया है, मोदी जी सच्चे अर्थों में विश्व नेता हैं।

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क