डैनियल क्रेग अपनी आखिरी बॉन्ड फ़िल्म ‘नो टाइम टू डाय” को लेकर चर्चा में

मेरी अजीज एक दोस्त थीं, जो कास्टिंग डायरेक्टर भी रहीं। उन्हीं ने मुझे ड्रामा स्कूल में काफी कुछ सिखाया था, उनका तरीका आक्रामक था, लेकिन वे बहुत ध्यान रखनी वाली भी थीं। जब वो नहीं रहीं तो मैं उन्हें कांधा देने गया था। वहां मेरी मुलाकात बारबरा ब्रोकली से हुई। बारबरा बॉन्ड फिल्मों की निर्माता हैं। वो मुझसे आगे होकर मिलीं। मैं यह बात भूल भी गया। लगभग छह महीने बाद उनका मुझे कॉल आया कि क्या हम कॉफी पर मिल सकते हैं? मैंने उन्हें हां कह दिया। जब हम मिले तो उन्होंने सीधे कहा- क्या तुम अगले जेम्स बॉन्ड बनना चाहोगे? मेरे भाव ऐसे थे जैसे मेरे साथ कोई मजाक हो रहा है ... मैंने उसी लहजे मैं खुद से सवाल किया .... मैं ही क्यों? मैंने उनसे कहा कि मैंने कभी किसी इंटरनेशनल स्क्रिप्ट पर काम करने पर विचार नहीं किया। उन्होंने कसीनो रॉयाल की पटकथा मुझे दी जिसे दस मिनट में मैंने समझा और उसके लिए तैयार हो गया। बाद में मैंने सोचा कि आखिर मैं बॉन्ड बनने से हिचक क्यों रहा था। दरअसल मैं नकल करने से डर रहा था।

मैं इस फिल्म में पियर्स (ब्रॉसनन) नहीं बन सकता था ना ही शॉन (कॉनरी) दिख सकता था। मैं यहां केवल वही करना चाहता था जो मैं हूँ। जैसे ही मैंने कसीनो रॉयाल की स्क्रिप्ट प़ढी, मुझे समझ में आ गया कि मैं इसे कैसे निभाऊंगा और मैंने हामी भर दी। नकल आपको सीमित कर देती है, इससे हमेशा बचकर रहना चाहिए। इसके बाद भी मैंने करीब साल भर लिया खुद को तैयार करने में। बारबरा ने इंतजार किया … और मैं उनका शुक्रगुजार हूँ। मुझे पता था कि इसके बाद मेरी दुनिया बदलने वाली है। इसकी तैयारी में कोई कोताही नहीं बरती।
जब पूरी तरह तैयार हुआ तब ही काम शुरू किया। तैयारी ह़डब़डी में नहीं हो सकती थी, तैयारी को भी वक्त चाहिए। खुद को तैयार करने के लिए कभी वक्त का मुंह नहीं देखना चाहिए। मैंने निर्माताओं से साफ कह दिया था कि मैं ऐसे ही बॉन्ड नहीं बनूंगा। मैंने उनसे इजाजत मांगी कि मुझे हर चीज में शामिल करें। मैं नहीं चाहता था कि मैं सेट पर जाऊं और केवल यह बोल के घर आ जाऊं कि माय नेम इज बॉन्ड, जेम्स बॉन्ड। मुझे तो हर चीज के मायने जानने थे। मैंने यही किया भी, पटकथा से लेकर फिल्मांकन तक बॉन्ड फिल्मों को जाना। तभी शायद यह सफर इस तरह से पूरा हो पाया है।

( द्‌ न्यू यॉर्कर फेस्टिवल के मंच पर डॅनियल क्रेग )

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क