राजनीतिक विरासत के बावजूद फडणवीस ने चढ़ी क्रमिक रूप से राजनीतिक सीढ़ीयां

देवेन्द्र फडणवीस जी महाराष्ट्र राज्य के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री रहे हैं। यह फडणवीस जी की काबिलियत और राजनीतिक दक्षता ही है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत का उपयोग अपने हित में कभी नहीं किया। देवेन्द्र गंगाधर राव फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति का एक ऐसा नाम है जिन्हाेंने अपने पिता से मिली राजनीतिक विरासत के बावजूद खुद को अपने तप से स्थापित किया है। फडणवीस जी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं और आपके पिता गंगाधर राव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ के निष्ठावान सदस्य थे। इतना सब कुछ होने के बाद भी आपने अपनी राजनीतिक लक़ीर स्वयं खींची। देवेंद्र फडणवीस बचपन से ही मुखर और स्पष्टवादी सोच रखने वाले रहे हैं। बता दें कि बात चाहे आपातकाल के दौरान फडणवीस जी के पिता की गिरपतारी की रही हो या मुख्यमंत्री रहते हुए महाराष्ट्र राज्य से जुड़ा कोई मुद्दा, देवेन्द्र फडणवीस ने हर विषय पर अपनी राय बेबाक़ी के साथ रखी। यह फडणवीस जी की स्पष्टवादी सोच और दूरदृष्टि का ही नतीजा रहा कि जो महाराष्ट्र २०१४ के पहले भयंकर सूखे और जल संकट की समस्याओं से जूझ रहा था, उन समस्याओं को दूर करने में एक मुख्यमंत्री के रूप में देवेन्द्र फडणवीस जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका सीधा-सीधा असर कहीं न कहीं २०१९ के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। देवेन्द्र फडणवीस ने कभी शहरी और ग्रामीण मतदाताओं में भेद नहीं किया। आपने सबका साथ – सबका विकास की नीति को धरातल पर अमलीजामा पहनाया। जिसका परिणाम यह रहा कि फडणवीस जी ने बिना किसी संकट के अपना कार्यकाल पूर्ण किया। इसके अलावा २०१९ के लोकसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को ४८ में से ४१ सीटें प्राप्त हुई।

छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे देवेन्द्र फडणवीस ने हर समय राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया है। तभी तो एक चुनावी रैली में देश के प्रधानमंत्री मोदी ने देवेन्द्र फडणवीस की प्रशंसा में कहा था कि, देवेन्द्र देश के लिए नागपुर का तोहफा हैं।

एक मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस जी शत-प्रतिशत खरे उतरे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के पूर्व फडणवीस जी को सिर्फ़ मेयर के पद पर कार्य करने का अनुभव था। लेकिन, यह देवेंद्र फडणवीस की राजनीतिक दूरदर्शिता और कार्यशैली का ही परिणाम रहा कि जिस राज्य में पांच साल लगातार सरकार चलाना पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों के लिए टेžी खीर साबित होता रहा, उसे फडणवीस ने सम्मानजनक रूप से संभव करके दिखाया। मÀदुभाषी, विनम्र, कर्मठ और सभी के अजीज देवेन्द्र फडणवीस जी महज १‘ साल की उम्र में १‘८‘ में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। वे उस समय भाजपा की युवा शाखा भाजयुमो के वार्ड अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद आप १‘‘२ में भाजयुमो की नागपुर इकाई के अध्यक्ष बन गए। बाद में आप भाजयुमो की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष और उसके बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। इसके बाद वे अपनी रणनीतिक क्षमता और कार्यकुशलता के दम पर २०१० में पार्टी के प्रदेश महासचिव बने। २०१९ में आप पांचवीं बार विधायक बने। यह फडणवीस जी का राजनीतिक कौशल और उनके पास बेहतर जमीनी समझ होने का नतीजा ही है कि बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सर्वाधिक सीटों पर जीत दर्ज की। जिसकी वजह से राज्य में भाजपा सबसे ब़डी पार्टी बनकर उभरी। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अगर कमाल का प्रदर्शन किया तो इसमें निःसन्देह नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जो़डी के अलावा फडणवीस जी का बहुत ब़डा योगदान रहा। देवेन्द्र फडणवीस जी का झुकाव बचपन से ही राजनीतिक-सामाजिक जीवन में रहा। ऐसे में एक समय ऐसा आया जब आपने सक्रिय राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। देवेन्द्र फडणवीस चाहते तो वे सीधे किसी बड़े ओहदे पर बैठ सकते थे, क्योंकि उनके पिता संघ से जुड़े हुए थे और तत्कालीन दौर में राजनीति में बड़ा नाम रखते थे। तभी तो नितिन गडकरी जैसे नेता उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। इतना सब होने के बाद भी देवेंद्र फडणवीस ने अपनी राह स्वयं बनाई। जमीन से जुड़ाव रखने वाले नेता की छवि वह शुरू से ही रखते हैं। फडणवीस को कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन से बेस्ट पार्लियामेंटेरियन का अवॉर्ड भी मिला है। इन सबसे हटकर हिंदुत्व के मुद्दे पर भी फडणवीस की सोच स्पष्ट है।

तभी तो वे कई बार यह कहते पाए जाते हैं कि हिंदुत्व कभी भी कट्टर (विचारधारा) नहीं रहा है। यह हमेशा से सहिष्णु रहा है। हिंदुत्व इस देश में जीवन जीने का प्राचीन तरीका है। हिंदुओं ने कभी किसी पर या किसी भी देश या किसी राज्य पर हमला नहीं किया। छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे देवेन्द्र फडणवीस ने हर समय राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया है। तभी तो एक चुनावी रैली में देश के प्रधानमंत्री मोदी ने देवेन्द्र फडणवीस की प्रशंसा में कहा था कि, देवेन्द्र देश के लिए नागपुर का तोहफा हैं। हालांकि, मोदी ने लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान अमेरिकी तर्ज पर चुनाव प्रचार किया था पर इन चुनावों में मिली जबरदस्त जीत का श्रेय तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष फडणवीस को भी जाता है। यह तो हम सभी जानते है कि महाराष्ट्र में एक समय सिर्फ मराठा राजनीति और मराठा नेताओं का ही वर्चस्व रहा है, लेकिन इस रवायत को किसी ने तोड़ी है तो वह देवेन्द्र फडणवीस ही हैं। एक समय बीजेपी का हिस्सा रही शिवसेना के मनोहर जोशी के बाद देवेन्द्र फडणवीस ऐसे दूसरे ब्राह्मण नेता हैं जो महाराष्ट्र सूबे में मुख्यमंत्री बने, जो अपने आप में बड़ी बात है। कुल मिलाकर देखा जाये तो देवेन्द्र फडणवीस महाराष्ट्र में भाजपा का एक ऐसा चेहरा हैं, जिन्होंने राजनीतिक सीि़ढयां क्रमिक रूप से चžी है।

चन्द्रकान्त चौधरी