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बाहुबली रॉकेट की लंबी छलांग, चांद की ओर लेकर उड़ा चंद्रयान

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भारत के लिए अब चंदा मामा दूर के नहीं रहे। सवा अरब सपनों को परवान चढ़ाते हुए 15 मंजिला ऊंचा बाहुबली रॉकेट उएथ्न्न्-श्व्3 सोमवार को चंद्रयान-2 को लेकर चांद की ओर उड़ गया। इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में यह ऐतिहासिक छलांग लगाई और 16 मिनट बाद ही चंद्रयान पृथ्वी की निर्धारित कक्षा में पहुंच गया। इस तरह इस महत्वाकांक्षी मून मिशन का पहला चरण कामयाबी से पूरा हुआ। इससे उत्साहित इसरो के चेयरमैन ने कहा कि यह लॉन्च तो हमारी उम्मीद से भी बेहतर रहा। अगले 45 दिन में चंद्रयान-2 को 15 बेहद अहम चरणों से गुजरना होगा। इसके बाद 6 से 8 सितंबर के बीच चंद्रयान के लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। चांद को फतह कर चुके अमेरिका, रूस और चीन ने भी तक इस जगह पर कदम नहीं रखा है। भारत के पहले मून मिशन ने चांद के इस इलाके में बर्फ के संकेत दिए थे, तभी से इस हिस्से के प्रति दुनिया की रुचि बढ़ी है।

चांद के लिए ऐसे शुरू हुआ सफर
८ 2ः43 ज्स् चंद्रयान-2 लेकर चांद की ओर उड़ा उएथ्न्न्-श्व्3, 16 मिनट बाद 2ः59 ज्स् बजे धरती की ऑर्बिट में चंद्रयान को स्थापित किया।
८ 16 दिनों तक यान 3 किमी/सेकंड से १० किमी/सेकंड की रफ्तार से चांद की ओर बढ़ेगा।
८ 21 दिनों बाद चांद की कक्षा में पहुंचेगा चंद्रयान। इस दौरान रॉकेट चंद्रयान से पूरी तरह अलग हो जाएगा।
८ 4 दिन पहले ही लैंडर विक्रम उतरने वाली जगह की पडत़ाल शुरू करेगा। फिर चंद्रयान से अलग होगा और सतह के करीब आते हुए उतरेगा।

सबसे मुश्किल पल

चंद्रयान-2 के लिए सबसे मुश्किल क्षण लैंडिंग से पहले के 15 मिनट होंगे। इस दौरान लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसरो ने पहले कभी ऐसा नहीं किया है। सफल लैंडिंग के साथ ही भारत चांद पर ऐसा करने वाला अमेरिका, रूस, चीन के बाद चौथा देश होगा।

पूरी तरह स्वदेशी है तकनीक

मून मिशन से जुड़ी मशीनरी और इसके सॉफ्टवेयर को भारतीय वैज्ञानिकों ने डिजाइन किया है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा से सिर्फ र्थ्ीींं उपकरण लिया है, जिसका काम धरती और चांद के बीच दूरी का समय-समय पर आकलन करना है। चंद्रयान-2 से मिले आंकड़ों का विश्लेषण भी भारतीय वैज्ञानिक करेंगे।

सूरज, शुक्र तक भी पहुंचेंगे

२०२० की पहली छमाही में इसरो सूर्य के लिए अपने मिशन ‘आदित्य एल-1“ को अंजाम देगा। इस मिशन में हजारों किलोमीटर तक फैलीं सूर्य की बाहरी परतों की स्टडी की जाएगी, जिससे पता चलेगा कि सूर्य का आभा मंडल इतना गर्म कैसे हो जाता है। २०२१-२२ में मिशन वीनस को अंजाम देने की योजना है।

टीम इसरो ने घर-परिवार की चिंता छोड़ लगातार 7 दिन तक लॉन्च की दिक्कत को दूर करने के लिए सब कुछ झोंक दिया। यह कड़ी मेहनत का फल है।
– के. सिवन, इसरो चीफ

चंद्रयान-2 का सफल लॉन्च हमारे वैज्ञानिकों की ताकत को दिखाता है। पूरा भारत गर्व महसूस कर रहा है।
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क

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