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सिर में चोट लगने पर सबस्टीट्यूट उतारने की एशेज से शुरुआत संभव

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क्रिकेट अधिकारी एक अगस्त से शुरू हो रही एशेज सीरीज में एक नए नियम को ला सकते हैं। यह नियम सिर में चोट लगने पर उस खिलाड़ी के स्थान पर कॉनकशन (सिर में लगी चोट जो कम गंभीर हो) सबस्टीट्यूट खिलाड़ी को मंजूरी देने का है। खेल को सुरक्षित बनाने की कवायद में आईसीसी यह नियम ला रही है और एशेज सीरीज के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अन्य प्रारूपों में भी लागू किया जा सकता है।

फिल की मौत से उठी चर्चा

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिल ह्यूज की दर्दनाक मौत के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के लिए किसी खिलाड़ी के बेहोश होने पर स्थानापन्न खिलाड़ी रखने का मसला मुख्य विषय बना हुआ है। ह्यूज नवंबर २०१४ में शैफील्ड शील्ड मैच के दौरान सिर में चोट लगने से घायल हो गए थे और बाद में उनकी मौत हो गई थी। यह मसला लंदन में चल रहे आईसीसी वार्षिक सम्मेलन के एजेंडा में शामिल है तथा खेल की परिस्थितियों में बदलाव को मंजूरी देकर उन्हें तुरंत प्रभाव से लागू किया जा सकता है ताकि एशेज सीरीज से शुरू होने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के मैच सुरक्षा के इन्हीं नियमों के तहत खेले जा सकें।

ऑस्ट्रेलिया में लागू है नियम

ह्यूज की असमय मौत ने आईसीसी को गेंद के सिर में चोट लगने से होने वाले मस्तिष्काघात से तात्कालिक और लंबी अवधि के प्रभावों पर जागरूकता लाने के लिए प्रेरित किया। आईसीसी ने २०१७ में घरेलू स्तर पर परीक्षण के तौर पर सिर में लगने वाली चोट से बेहोशी आने पर कॉनकशन सबस्टीट्यूट खिलाड़ी उतारने की शुरुआत की थी। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने २०१६ -१७ सत्र से मेंस और विमिंस वनडे कप और बीबीएल तथा विमिंस बीबीएल में इस तरह के स्थानापन्न खिलाड़ी उतारने की व्यवस्था की थी, लेकिन शैफील्ड शील्ड में इसे लागू करने के लिए उसे मई २०१७ तक आईसीसी की मंजूरी का इंतजार करना पड़ा था।

थोड़ी कठिनाई भी शामिल

इस साल की शुरुआत में श्रीलंका के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान कुसाल मेंडिस और दिमुथ करुणारत्ने दोनों के सिर पर गेंद से चोट लगी थी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था और केवल करुणारत्ने को ही आगे खेलने की अनुमति दी गई थी। उस वक्त श्रीलंकाई मैनेजमेंट टीम में कोई डॉक्टर शामिल नहीं था। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई मेडिकल स्टाफ ने ही दोनों टीमों का खयाल रखा। सबस्टीट्यूट प्लेयर शामिल करने वाले नियम के साथ अभी यह साफ नहीं है कि टीमों को अपने खुद के मेडिकल स्टाफ रखने की जरूरत होगी या फिर सभी इंटरनैशनल मैचों में आईसीसी खुद एक स्वतंत्र डॉक्टर तय करेगा।

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क

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