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भारतीय उद्योग जगत के गौरव बाबा कल्याणी

व्यवसाय के साथ-साथ बाबा कल्याणी परोपकारी योजनाओं और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी खासी दिलचस्पी लेते हैं। उनका मानना है कि एक जिम्मेदार उद्योग समूह के रूप में, हमें समाज के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए और कुछ वापस करना चाहिए जिसने हमें इतना कुछ दिया है। बाबा कल्याणी ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उनकी कंपनी द्वारा तैयार 155 एमएम आर्टिलरी गन (तोप) मौजूदा बोफोर्स गन से ज्यादा पॉवरफुल है।

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भारतीय उद्योग जगत के प्रतिष्ठित और सुस्थापित व्यक्तित्व बाबा कल्याणी देश के गर्व हैं। बाबा कल्याणी भारत के ऐसे उद्योगपति हैं जिन्होंने व्यावसायिक मूल्यों, सिद्धांतों एवं गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया।  राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए अपनी औद्योगिक योजनाओं को मूर्तरूप देना श्री कल्याणी का प्रथम औद्योगिक सिद्धांत है। व्यक्तिगत जीवन से लेकर सामाजिक जीवन तक वह स्वाभाविक रूप से एक अंतर्मुखी किन्तु सरस, सहयोगी तथा परोपकारी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

बाबा कल्याणी का जन्म पुणे में पेशे से इंजीनियर सुलोचना और नीलकंठ कल्याणी के घर हुआ था। उनके पिता का ऑटो पाट्‌र्स बनाने का एक छोटा सा कारखाना था। बाबा ने अपनी स्कूलिंग बेलगांव के राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल से की।

इसके बाद उन्होंने बिट्‌स पिलानी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। साथ ही उन्होंने प्रसिद्ध एनआईटी से भी डिग्री हासिल की है। वर्तमान में वह अपने इकलौते बेटे अमित कल्याणी के साथ भारत फोर्ज का पूरा काम देख रहे हैं। आने वाले समय में बाबा का प्लान डिफेंस सेक्टर में व्यापक स्तर पर काम करना है।

फोर्ज और राष्ट्रीय

सुरक्षा में योगदान

बाबा कल्याणी देश को पहली प्राइवेट तोप (आर्टिलरी गन) यानी एडवांस टोवड आर्टिलरी गन सिस्टम देने वाले भारत फोर्ज लिमिटेड के चैयरमेन हैं।

फोर्ब्स द्वारा साल २०२१ में जारी की गई इंडिया के १०० अमीरों की लिस्ट में इनका ६७ वां स्थान है। रिपोट्‌र्स के मुताबिक, बाबा की कंपनी ने कारगिल युद्ध की हीरो रही बोफोर्स गन से ज्यादा पावरफुल और सस्ती गन (तोप) तैयार की है। इस आर्टिलरी गन को डीआरडीओ के साथ मिलकर तैयार किया गया। फोर्ब्स के मुताबिक, इनके पास ३.१ बिलियन डॉलर की संपत्ति है।

कारगिल युद्ध में योगदान

बाबा की कंपनी का कारगिल युद्ध में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी चौकियों को नष्ट करने के लिए बोफोर्स तोपों के इस्तेमाल का फैसला किया गया। यह रणनीति कामयाब रही, लेकिन जल्द ही सेना के पास इन तोपों के लिए गोले खत्म होने लगे। इसके बाद डिफेंस मिनिस्ट्री ने बोफोर्स १५५ एमएम होवित्जर्स के लिए शेल्स बनाने का काम बाबा कल्याणी की कंपनी भारत फोर्ज को दिया। उस दौरान कंपनी को एक लाख शेल्स का इमरजेंसी ऑर्डर मिला था, जिसे कंपनी ने कम समय में पूरा कर अपनी साख बनाई।

बाबा कल्याणी ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उनकी कंपनी द्वारा तैयार १५५ एमएम आर्टिलरी गन (तोप) मौजूदा बोफोर्स गन से ज्यादा पॉवरफुल है। ऑपरेशनल पैरामीटर की बात की जाए तो यह खुद से २५ किलोमीटर प्रति घंटा मूव कर सकती है और यह ५२ कैलिबर की क्षमता वाली है, जबकि बोफोर्स की क्षमता ३९ कैलिबर की है। जब बाबा कल्याणी १९७२ में भारत फोर्ज में शामिल हुए तब कंपनी का सालाना कारोबार १,३००,००० डॉलर था। बाद में यह भारत, अमरीका, जर्मनी, स्वीडन और चीन भर में फैले ११ विनिर्माण सुविधाओं के साथ एक वैश्विक कंपनी बन गयी। श्री कल्याणी भारत में ऑटोमोबाइल कॉम्पोनेंट एक्सपोर्ट के पायोनीर माने जाते हैं।

बाबा कल्याणी के दूरदर्शी नेतृत्व द्वारा निर्देशित इस समूह के पास १०,००० से अधिक मजबूत वैश्विक कार्यबल है। साथ ही यह समूह आज अपने सभी संबंधित व्यावसायिक क्षेत्रों में एक मार्केट लीडर के तौर पर जाना जाता है। कल्याणी समूह एक विश्वस्तरीय कंपनी है और यह अपने व्यवसाय के हर पहलू में अग्रणी बनने का प्रयास करता है। हमेशा से ही इनोवेशन समूह के लिए प्रेरक शक्ति रहा है और इसे व्यवसाय के हर पहलू पर लागू किया जाता है। नवोन्मेष की भावना कल्याणी समूह को वैश्विक बाजारों तक पहुंच बनाकर व्यवसायों को आक्रामक रूप से विकसित करने के लिए प्रेरित करती है।

उद्यम,परोपकार

और पर्यावरण

व्यवसाय के साथ-साथ बाबा कल्याणी परोपकारी योजनाओं और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी खासी दिलचस्पी लेते हैं। इनका मानना है कि एक जिम्मेदार उद्योग समूह के रूप में, हमें समाज के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए और कुछ वापस करना चाहिए जिसने हमें इतना कुछ दिया है। इसलिए कल्याणी समूह नैतिक रूप से अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसने शिक्षा, पर्यावरण, बुनियादी ढांचे और समुदाय जैसे क्षेत्रों में कई पहलें की हैं।

समाज के सभी वर्गों को शिक्षा मिले इसके लिए श्री कल्याणी कई योजनाएँ संचालित कर रहे हैं। आप प्रथम पुणे शिक्षा फाउंडेशन के संस्थापक हैं,जो स्थानीय समुदाय के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने में लगी हुई है। अपनी स्थापना के बाद से इस संस्था ने पुणे में १००,००० से अधिक बच्चों के जीवन में बदलाव लाने में सफलता पाई है। इसके अलावा एक प्रशिक्षण केंद्र भी चलाया जा रहा है। इसके तहत ग्रामीण युवाओं के लिए स्वतंत्र तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा श्री कल्याणी अनेक परोपकारी और धर्मार्थ संगठनों को सहायता प्रदान कर रहे हैं।

इतना ही नहीं ये व्यवसाय के साथ-साथ पर्यावरण हितों का भी ध्यान रखते हैं। इसी संदर्भ में एक स्वच्छ और उत्सर्जन से मुक्त वातावरण हेतु योगदान करने के लिए, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए विभिन्न ऊर्जा कुशल पवन टर्बाइन का निर्माण करने के लिए खहीेब्े लिमिटेड की स्थापना की गई है। कंपनी की महाराष्ट्र में अपनी विंड टर्बाइन है जो हरित ऊर्जा कंपनी के उत्पादकों के कार्यों के लिए बनाई गई है। इनकी कंपनी गैर-परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र के लिए सौर ऊर्जा उपकरण को विकसित करने में लगी हुई है। केपीआईटी कमिंस के साथ एक संयुक्त उद्यम में, भारत फोर्ज अपने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम बनाया जा रहा है।

बाबा कल्याणी ने जहाँ अपने पिता से प्राप्त विरासत को शिखर पर पहुँचाया है तो वहीं कल्याणी ग्रुप के व्यापक विस्तार के लिए अपने सुपुत्र अमित कल्याणी को भी बखूबी तैयार किया है। दिलचस्प बात यह है कि कल्याणी ग्रुप के संस्थापक श्री नीलकंठ कल्याणी ने मैट्रिक तक की साधारण शिक्षा प्राप्त की थी तो वहीं बाबा कल्याणी ने एमआईटी और अमित कल्याणी ने बुकनाल यूनिवर्सिटी, यूएसए से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की है।

पुरस्कार व सम्मान

कल्याणी को भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण प्राप्त है। यह पुरस्कार व्यापार और इंडस्ट्री में उनके शानदार योगदान के लिये मिला है। इसके अलावा उन्हें महाराष्ट्र भूषण, ग्लोबल

इकॉनमी प्राइज-२००९, जर्मन बिजनेसमैन ऑफ द इयर-२००६, इंटरप्रिन्योर्स

ऑफ द इयर-२००५ और सीईओ ऑफ २००४ के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। साथ ही आप सीआईआई राष्ट्रीय रक्षा समिति के अध्यक्ष रहे हैं तथा आपने भारत-जापान बिजनेस लीडर्स फोरम की सह-अध्यक्षता का दायित्व निभाया है। इसके अतिरिक्त श्री कल्याणी इंडो-प्रेंच सीईओ फोरम के सदस्य भी रहे हैं। इसके अलावा आप देश-दुनिया के प्रतिष्ठित आर्थिक मंचों और संगठनों से संबद्ध रहे हैं।

कल्याणी ग्रुप की स्थापना

से जुड़े दिलचस्प तथ्य

कल्याणी ग्रुप की स्थापना की बात करें तो ग्रुप के संस्थापक नीलकंठ कल्याणी को सन्‌ १९५४ में अपने पिता के निधन के बाद पढ़ाई छोडव़र परिवार के कारोबार को सँभालना पड़ा था। अधूरी शिक्षा की क्षतिपूर्ति महाराष्ट्र के पूर्व वरिष्ठ राजनेता स्व. यशवंतराव चौहाण ने की। चौहाण को कल्याणी परिवार से बचपन में पुत्रतुल्य संरक्षण मिला था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस कर्ज को उतारने के लिए नीलकंठ कल्याणी को उद्योग स्थापना के लिए प्रेरित किया और मदद की। स्वर्गीय चौहाण के सिफारिशी पत्र से नीलकंठ कल्याणी को केंद्रीय उद्योग मंत्रालय से फोर्जिंग कारखाना लगाने की अनुमति मिल गई। परिवार के ही नजदीकी मित्र शान्तनुराव लक्ष्मणराव किर्लोस्कर (किर्लोस्कर समूह) की सहायता से उन्होंने सन्‌ १९६१ में भारत फोर्ज की स्थापना की।

इस कारखाने के १५ लाख रुपए के प्रारंभिक निवेश में श्री नीलकंठ कल्याणी का हिस्सा मात्र २ लाख रुपए था। पाँच-पाँच लाख रुपए किर्लोस्कर व कोल्हापुर के महाराजा ने निवेश किए थे। तीन लाख रुपए का कर्ज बैंक से मिला था। परमिट व लायसेंस राज में नया कारखाना स्थापित करना कितना कठिन काम था, इसका प्रमाण है कि स्थापना के पाँचवें वर्ष सन्‌ १९६६ में कंपनी फोर्ज

शॉप स्थापित कर पाई और आठवें वर्ष में पहली फोर्जिंग बना पाई। स्वर्गीय चौहाण की सिफारिश से कारखाना लगाने की अनुमति तो मिल गई थी, पर कई अन्य औपचारिकताओं के लिए श्री नीलकंठ कल्याणी को विभिन्न मंत्रालयों में पाँच साल चक्कर लगाने पड़े।

सन्‌ १९६२ में भारत-चीन युद्ध हुआ, फलतः भारत फोर्ज को उत्पादन शुरू करने के लिए सन्‌ १९६६ तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। पहली पीढ़ी ने अपने काल की प्रचलित व्यवस्था व अवरोधों के बीच अपने मित्रों की मदद से अपना दायित्व पूरा किया। सन्‌ १९७२ में श्री बाबा कल्याणी पिता के सहयोगी बने। उनका पहला अनुभव भी तीखा रहा। उनके

ज्वॉइन करते ही कई टॉप मैनेजर्स समूह छोडव़र चले गए।

२३ वर्षीय श्री बाबा कल्याणी सलाह लेने के लिए श्री किर्लोस्कर के पास पहुँचे तो गुरुमंत्र मिला कि अपना हक जूझने से मिलता है और इसका आसान उपाय है पानी में कूद पड़ो। स्व. किर्लोस्कर के इस कथन ने श्री बाबा कल्याणी का हौसला बढ़ाया।

 

कृपाशंकर तिवारी

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