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नये साल में न्यायपूर्ण एवं उदार समाज की उम्मीद

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नए साल पर हर बार लोग कोई न कोई प्रण लेते हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर उनका पालन नहीं कर पाते। मैं उम्मीद करता हूं कि हमें उन जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए, जो हमें पूर्वजों ने सौंपी है।

चपन में चर्च वह आखिरी जगह होती थी, जहां मैं नए साल की प्रार्थना करने जाना चाहता था लेकिन अमूमन होता यही था कि हर साल दूसरे बच्चों के साथ हमें चर्च में वॉच नाइट की सेवाओं के लिए इकट्ठा कर लिया जाता था। हम इसका इंतजार करते रहते थे कि कब छूटें और क्लबों तथा घरों की पार्टियों में शामिल हों, जो तब तक हमारे बगैर ही अक्सर शुरू हो जाती थीं। दरअसल अश्वेत चर्च में वॉच नाइट की परंपरा की शुरुआत अब्राहम लिंकन की ऐतिहासिक मुक्ति घोषणा का उत्सव मनाने के लिए हुई थी। बीती सदी के ९० के दशक में मेरी
पी़ढी के लिए वॉच नाइट का मतलब होता था चर्चा में गीतों और उपदेशों का माहौल यह हमारे जिंदा बच जाने के लिए आभार और नए साल की शुभकामनाओं से भरा होता था।
वॉच नाइट में हम अश्वेतों के जिंदा बच जाने का उत्सव मनाया जाता था। हमारे पूर्वज कहते थे कि अलबामा में अश्वेत होकर जिंदा रह जाना चमत्कार से कम नहीं था। हमारे आसपास के अनेक अश्वेत बुजुर्ग कपास के खेतों में हुए शोषण, नस्लीय अलगाव से जुड़े अत्याचार और नशे के खिलाफ कठोर सरकारी दमन के बीच भी जिंदा बचे रह गए थे। कई बार ऐसा होता कि वॉच नाइट के पिछले अवसर पर दिखे बुजुर्ग अगले समारोह में नहीं दिखते। वॉच नाइट उन अश्वेतों को याद करने का भी अवसर होता था , जो मानवीय क्रूरता और अन्याय का शिकार हो गए थे। बाद के दिनों में वॉच नाइट बच्चों को चर्च में व्यस्त रखने का एक अवसर ही हो गया ।
मुझे याद है कि मेरी मां नए साल की पार्टी से मुझे हमेशा दूर रखना चाहती थीं, क्योंकि वह जानती थीं कि ऐसे अवसर पर किसी न किसी झमेले में हमारे फंस जाने की आशंका है। मुझे बचपन के चर्च की याद है, जो जंगल के पास था, जहां हम अश्वेतों की ब़डी आबादी थी। जब हम वहां जाते, तो बताया जाता कि हममें अच्छाई, सच्चाई, सौंदर्य और पवित्रता की जरूरत है, जो कि हममें जीवन की उम्मीद भरे हमें कहा जाता कि सदियों से हमारे साथ जो अन्याय हुआ है, उसी के कारण हमारे जीवन में इतनी कठिनाइयां आई हैं। हमारे आसपास अनेक ऐसे लोग थे, जो कहते थे कि हमारे साथ हुआ अन्याय हमारे ही पूर्व जन्म का फल है। पर चर्च इससे इत्तफाक नहीं रखता था। वह कहता था कि ईश्वर जिस तरह हमें बुराई करने से रोकता है, उसी तरह वह संस्थागत नस्लवाद का भी विरोध करता है।
बचपन में अच्छा व्यक्ति बनने और अन्याय का विरोध करने की भावना मुझे चर्च से ही मिली। वॉच नाइट के लिए चर्चा में गए मुझे अब कई साल हो चुके हैं। श्वेतों के वर्चस्व वाले विश्वविद्यालय में अध्ययन, और ब्रिटेन में पढ़ाई की वजह से अश्वेत चर्च अब मुझसे पीछे छूट गए हैं। इस बीच में उन लोगों के बीच रहा हूं, जिन्हें कुख्यात दास प्रथा, अश्वेतों की अमानवीय नीलामी और जान बचाने के लिए आधी रात भागने की थोड़ी भी याद नहीं है। नए साल पर हर बार लोग कोई न कोई प्रण लेते हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर उनका पालन नहीं कर पाते। मैं उम्मीद करता हूं कि हमें उन जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए, जो हमें पूर्वजों ने सौंपी है। वर्ष २०२२ में हमें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पी़ढी को उदार और न्यायपूर्ण समाज मिले।

नववर्ष विशेष

इसाउ मैकॉले

Satish Kumar

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