कांग्रेस शासित राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं की क्या हालत है?

प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की आशा कार्यकर्ताओं के लिए दस हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय का वादा कर रहीं हैं, लेकिन आंक़डे बताते हैं कि

१. पंजाब : यहां अब तक आशा कार्यकर्ताओं को केवल कमीशन मिलता था। मतलब जब आशा कार्यकर्ता किसी गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाती थी, उसे टीका लगवाती थी या उसका चेकअप करने जाती थी तब उसे सरकार की तरफ से कुछ निर्धारित रकम दी जाती थी। दो दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आशा कार्यकर्ताओं को नए साल का तोहफा दिया है। अब आशा वर्करों को २५०० रुपये प्रति माह मानदेय के तौर पर दिए जाएंगे।

२. राजस्थान : सबसे बुरी स्थिति राजस्थान में है। यहां एक आशा कार्यकर्ता को सभी भत्ते मिलाकर प्रतिमाह केवल २९७० रुपये मिलते हैं। कोरोनाकाल के दौरान एक कोरोना मरीज के घर सर्वे करने का एक रुपया दिया जाता था। इसके अलावा साल में दो बार नीली सा़डी दी जाती है। हालांकि दो सालों से यह भी नहीं मिली है।

३. छत्तीसग़ढ : यहां भी प्रतिदिन आशा कार्यकर्ताओं और
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सहयोगिनों को प्रतिदिन ५० रुपये यात्रा भत्ता मिलता था। दो दिन पहले इसे ब़ढाकर १०० रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा सात तरह की सेवाओं में आशा कार्यकर्ताओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि दोगुनी कर दी है। बाकी में यथावत रखा है। यहां भी केंद्र सरकार की तरफ से दिए जाने वाले प्रतिमाह दो हजार रुपये के अलावा आशा कार्यकर्ताओं और सहयोगिनों को यात्रा भत्ता मिलता है। इस तरह से एक आशा कार्यकर्ता को प्रतिमाह करीब चार हजार रुपये मिलते हैं।

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क